आज की इस पोस्ट में हम CT और PT के बीच जो अंतर हैं उनके बारे में बात करेंगे। जैसा कि आपको पता है, CT और PT दोनों ही ट्रांसफार्मर होते हैं, CT हाई करंट को मापता है जबकि PT हाई वोल्टेज को मापता है। तो अपनी जनकारी बढ़ाने के लिए हमारी पोस्ट को पढ़े और जाने CT और PT के बीच वो कौन कौन से अंतर हैं जो इनको एक दूसरे से अलग बनाते हैं।
Difference between CT and PT |
Difference between CT and PT
CT को करंट मापने के लिए इस्तेमाल करते हैं, इसको करंट ट्रांसफार्मर कहते हैं।
PT को हम वोल्टेज मापने के लिए इस्तेमाल करते हैं, इसे पोटेंशिअल ट्रांसफार्मर कहते हैं, इसे वोल्टेज ट्रांसफार्मर भी कह देते हैं।
नीचे दोनों के प्रतीक चिन्ह दिखाये गये इन आप इनमे दोनों का अंतर देख सकते हैं। इनमे जो बिंदु दिखाये गये हैं वो इनको पोलेरिटी दर्शाते हैं।
CT and PT Symbol |
CT की प्राइमरी वाइंडिंग लोड से साथ सीरीज में जुडी होती है।
PT की प्राइमरी वाइंडिंग लोड से साथ पैरलल में जुडी होती है।
CT में करंट को स्टेप डाउन करते हैं।
PT में वोल्टेज को स्टेप डाउन करते हैं।
CT में प्राइमरी वाइंडिंग, सेकेंडरी वाइंडिंग से छोटी होती है।
PT में प्राइमरी वाइंडिंग, सेकेंडरी वाइंडिंग से बड़ी होती है।
CT बार टाइप CT में प्राइमरी वाइंडिंग नही होती इसमें बसबार या तार को ही प्राइमरी वाइंडिंग की तरह इस्तेमाल करते हैं।
PT में इसकी प्राइमरी वाइंडिंग होनी जरूरी है।
Related Post :-
What is the use of neutral in the 3 phase ac motor
What is circuit
Why Starter are Required to Run Motor [ हिंदी ]
CT की प्राइमरी वाइंडिंग पे वोल्टेज कम होता है।
PT की प्राइमरी वाइंडिंग पे वोल्टेज ज्यादा होती है।
CT में आउटपुट को ओपन नही रख सकते। लेकिन कभी कभी बहुत हु दुर्लभ मामले में इसको ओपन भी रख लेते हैं जैसे नीचे फोटो में दिखाया है।
इसमें एक CT दिखाया है जिसकी 3 सेकेंडरी वाइंडिंग हैं, इसमें 1 वाइंडिंग को ओपन रखा है एक में कंट्रोल सर्किट और एक पे लोड जोड़ा गया है। अब जो CT की सेकेंडरी हैं उनमे वोल्टेज एक दूसरे पे डिपेंड करता है अब जो वोल्टेज लोड लगी वाइंडिंग पे होगा उसी हिसाब से ओपन वाइंडिंग पे भी वोल्टेज होगा तो इसको हम ओपन रख सकते हैं। जिनमे सभी वाइंडिंग की वोल्टेज इंटर रिलेटेड होता है। ये बहुत की कम जगह इस्तेमाल होता है।
PT में हम आउटपुट को ओपन यानि खुला रख सकते हैं।
CT के आउटपुट पे कोई शार्ट सर्किट का खतरा नही होता, इसके आउटपुट को आपस में शार्ट करने से कोई भी फर्क नही पड़ता।
PT के आउटपुट को अगर हम शार्ट कर देंगे तो PT जल जायेगा।
CT के आउटपुट पे हाई रेसिस्टिव लोड लगाना सुरक्षित नही होता।
PT के आउटपुट पे लौ रेसिस्टिव लोड लगाना खतरनाक होता है।
CT में इम्पीडेन्स कुछ खास मायने नही रखता।
PT में इम्पीडेन्स बहुत ही ज्यादा मायने रखता है।
CT में आउटपुट ज्यादातर एक ही होती है।
PT में बहुत सारे आउटपुट हो सकते हैं।
CT में लोड बदलने से आउटपुट वोल्टेज पे बहुत ज्यादा फर्क पड़ता है।
PT में लोड बदलने से वोल्टेज में बहुत कम प्रभाव पड़ता है।
CT का डिजाईन करंट के बहुत ज्यादा वेरिएशन को देखते हुए किया जाता है।
PT का डिजाईन बहुत कम वेरिएशन के लिये होता है।
CT डिजाईन करने के लिए सिस्टम शार्ट करंट ज्यादा मायने रखता है।
PT को डिजाईन करते समय सिस्टम शार्ट सर्किट करंट ज्यादा मायने नहीं रखता।
CT का डिजाईन हाई शार्ट टाइम करंट रेटिंग के लिए डिजाईन किया जाता है। मतलब अगर बहुत समय शर्ट सर्किट होता है तो CT सुरक्षित रहना चाहिए।
PT के डिजाईन में इसकी कोई जरुरत नही पड़ती।
CT में इनपुट करंट की एक्यूरेसी रखनी बहुत मुश्किल होता है।
PT में इनपुट वोल्टेज एक्यूरेसी रखना बहुत आसान होता है।
Thanks for Sharing this useful information with us
ReplyDeleteTransformer Manufacturers in Pune
Post a Comment